आपने कभी न कभी विधान परिषद के बारे में सुना ही होगा, विधान परिषद राज्य सरकार के मुख्य अंग होते है। वर्तमान समय में भारत के केवल 6 राज्यों में ही विधान परिषद मौजूद है। लेकिन क्या आप विधान परिषद (MLC) के बारे में जानते, अगर आप इसके बारे में नहीं जानते और इसके विषय में जानकारी चाहते है तो आप हमारे इस लेख को पूरा जरुर पढ़े।
भारत का नागरिक होने के नाते हमें विधान परिषद, विधान सभा आदि के बारे में पता होना चाहिए इसलिए मैं इस लेख में माध्यम से आपको एमएलसी क्या है, MLC Full Form, विधान परिषद का कार्यकाल, एमएलसी का कार्य, एमएलसी बनने के लिए योग्यता और भी बहुत से चीजों के बारे में विस्तार से जानेगे। सबसे पहले हम एमएलसी का पूरा नाम जान लेते है उसके बाद हम इसके कार्य, वर्तमान में किन राज्यों में एमएलसी मौजूद है आदि के बारे में जानेगे

MLC Full Form in Hindi
MLC का फुल फॉर्म होता है- ”Member of Legislative Council “, हिंदी में इसे विधान परिषद के सदस्य कहते है। विधान परिषद का गठन सविधान के अनुच्छेद 169, 171(1) और 171(2) के तहत किया गया है।
विधान परिषद किसी भी राज्य के विधानमंडल का अंग है। विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव आम जनता के द्वारा नहीं होता है। विधान परिषद के सदस्य को स्थानीय निकायों, राज्यपाल, स्नातक और शिक्षक, राज्य विधान सभा के द्वारा 6 साल के लिए चुना जाता है। हालाँकि विधान परिषद के कुल सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त हो जाते हैं, उसके बाद फिर दोबारा से नए सदस्यों का चुनाव किया जाता है।
MLC का चुनाव कैसे होता है
दोस्तों राज्य सभा, विधान सभा और विधान परिषद राज्य सरकार का मुख्य अंग होता हैं। अगर एमएलसी की चुनाव प्रक्रिया की बात की जाए तो इसका चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर होता है यानि इस चुनाव में आम जनता का कोई रोल नहीं होता। इस चुनाव में जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि भाग लेते है।
एमएलसी अर्थात विधान परिषद के एक तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों के सदस्य द्वारा यानि नगर पालिका, पंचायत समिति के सदस्य और जिला बोर्ड के सदस्य के द्वारा चुने जाते हैं, वही विधान परिषद के एक तिहाई सदस्य राज्य विधानसभा के सदस्यों के द्वारा चुने जाते है।
एमएलसी के 1/12 सदस्य राज्य के शिक्षक के द्वारा चुने जाते है व 1/12 सदस्य स्नातक पास पंजीकृत मतदाताओं के द्वारा चुने जाते है, इसके अलावा राजयपाल के द्वारा भी विधान परिषद के कुछ सदस्यों का चयन किया जाता है। इन सब के द्वारा चुने गए सदस्यों को विधान परिषद का सदस्य बना दिया जाता है।
MLC में सदस्यों की संख्या
राज्य के विधान परिषद के सदस्यों की संख्या, राज्य के विधान सभा में मौजूद सदस्य का एक तिहाई होता है। विधान परिषद के सदस्य की संख्या, विधान सभा के एक तिहाई सदस्य से अधिक नहीं होना चाहिए और एक समय में विधान परिषद में 40 से कम सदस्य नहीं हो सकते।
MLC बनने के लिए योग्यता
विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति के पास कुछ महत्वपूर्ण योग्यता का होना अनिवार्य है जो इस प्रकार है –
- विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
- एमएलसी (MLC) बनने के लिए व्यक्ति की उम्र कम से कम 30 साल का होना चाहिए।
- एमएलसी बनने वाले उम्मीदवार का मानसिक रूप से ठीक होना जरुरी है और हर परिस्थिति में सही निर्णय करने वाला होना चाहिए।
- इसके साथ ही उम्मीदवार का अपने गांव या शहर के मतदाता सूची में नाम होना अनिवार्य है।
- एमएलसी उम्मीदवार एक समय में विधान परिषद का सदस्य और सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए
ये कुछ योग्यताएं है जो विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए अनिवार्य है। यदि आपमें ये सारी योग्यताएं है तो आप विधान परिषद का सदस्य बन सकते है।
भारत के कोन से राज्य में विधान परिषद मौजूद है ?
भारत के कुछ राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा को विधान परिषद भी कहा जाता है। वर्तमान में भारत के केवल छः राज्यों में ही विधान परिषद है जिनके नाम बिहार, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना है। इसके अलावा राजस्थान, असम और ओडिशा को भारत के संसद ने अपने खुद का विधान परिषद बनने की मंजूरी दे दी हैं।
विधान परिषद की अन्य जानकरी
विधान परिषद के सदस्य का कार्य राज्य सभा को सुझाव देने का होता है यानि की विधान परिषद सभी तरह के बिल को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है लेकिंन उस बिल को पास करने के अधिकार एमएलसी के पास नहीं होता। बिल का फैसला करने का अधिकार राज्यसभा के पास होता है।
इसके अलावा विधान परिषद के सदस्य को विधानसभा के सदस्य जितना ही अधिकार दिया जाता है जैसे गाड़ी, सुरक्षा आदि और सभी MLA की तरह क्षेत्र फंड का प्रयोग करने का अधिकार भी होता है।
मेडिकल के क्षेत्र में एमएलसी का फुल फॉर्म
MLC Full Form in Medical – Medio Legal Cases
मेडिकल के क्षेत्र में एमएलसी का पूरा नाम मेडिको लीगल केस होता है। जब किसी व्यक्ति को मारपीट के दौरान चोट लगती है, तो डॉक्टरों द्वारा उस चोट को परिभाषित करने के लिए मेडिको लीगल सर्टिफिकेट बनाया जाता है। एलएलसी बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है और क्रिमिनल मामलो में इसकी बहुत ज्यादा अहमियत होती है।
यह एक बेसिक दस्तावेज होता है जिसमे व्यक्ति को कितना चोट लगा है और वह चोट किस हथियार से लगा है और शरीर के किस हिस्से में लगा है आदि के बारे में दर्ज (record) होता है। इसके साथ ही इस दस्तावेज में डॉक्टर का राय भी होता है जिसके हिसाब से पुलिस मामला बनाती है।
जब कभी भी मारपीट से जुड़े मामले की शिकायत थाने तक पहुँचती है तो पुलिस कई बार एफआईआर लिखने के दौरान एमएलसी भी करवाती है ताकि उनको अच्छे से पता चल सके कि शिकायत करने वाले को कहा चोट लगी है और कितनी लगी है।
इसी के हिसाब से एफआईआर में धारा भी लगाया जाता है। लेकिन कभी ऐसा भी हो जाता है कि जख्मी व्यक्ति सीधे पुलिस थाना न जाकर अस्पताल चला जाता है ऐसे परिस्थिति में एमएलसी होना लाजिमी है। इसी कारण कानूनी प्रक्रिया में एमएलसी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अन्य जानकारी
Final Word
आपको इस लेख के जरिये एमएलसी के बारे में पता चल गया होगा। इस लेख में हमने MLC Full Form, एमएलसी की योग्यता, चुनाव प्रक्रिया आदि के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है, इसके साथ ही मैंने Medical के क्षेत्र में एमएलसी का मतलब क्या होता है उसे भी बताया है। मुझे आशा है आप सब को हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी, यदि यह जानकारी अच्छी लगे तो इस लेख को शेयर जरूर करे। हमारा लेख पढ़ने के लिए शुक्रिया
धन्यवाद