इस लेख में हम रीट याचिका क्या है (Writ Petition in Hindi), रीट कितने प्रकार का होता है (Types of Writ) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। देश के हर एक नागरिक के लिए स्वतंत्रता का अधिकार बहुत महत्व रखता है। स्वतंत्रता नागरिकों को कई प्रकार के अधिकार प्राप्त करती है इन्हीं अधिकारों में से मौलिक अधिकार सबसे प्रमुख है। मौलिक अधिकार का संरक्षण देश के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा किया जाता है। हमारे संविधान ने देश के न्यायालयों को कुछ विशेष प्रकार की शक्तियां प्रदान की है जिसके आधार पर वह किसी भी कार्य करने पर रोक लगा सकती है और कार्य को करने का आदेश भी जारी कर सकती हैं। रीट (Writ) एक प्रकार का आदेश या निर्देश है जिसे देश के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा नागरिक के अधिकारों की रक्षा करने के लिए आदेश के रूप में जारी किया जाता है।
रीट याचिका क्या है (Writ Petition in Hindi)
भारत के संविधान ने न्यायालय को कुछ विशेष शक्तियां व अधिकार प्रदान किए हैं इन शक्तियों का प्रयोग करते हुए न्यायालय किसी भी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकारी को कोई काम करने या काम को रोकने के लिए आदेश या निर्देश जारी कर सकता है। इस प्रकार के आदेश की चाहत रखने वाला व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करता है इसी याचिका को ही रीट (Wrti) कहा जाता है।
सामान्यतः अधिकारों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है जिसमे एक मौलिक अधिकार और अन्य कानूनी अधिकार है। इन अधिकारों को संवैधानिक उपाय के रूप में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के द्वारा आदेश के रूप में जारी किया जाता है जिसे Writ कहते है।
संविधान का वर्णन
उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिट जारी कर सकता है वही सर्वोच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके रीट जारी करता है।
सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने पर Writ जारी करता है वही उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य अधिकारों का उल्लंघन करने पर Writ जारी करता है।
दोस्तों भारत में रीट याचिकाएं (Writ Petition) पांच प्रकार का होता है जो इस प्रकार है –
रीट के प्रकार (Types of Writ)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण-लेख (Certiorari)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ होता है शरीर सहित व्यक्ति को न्यायालय में पेश करना अर्थात जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण के तहत उस व्यक्ति को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का आदेश जारी करता है यदि न्यायालय बिना कोई वजह के या अवैध तरीके से व्यक्ति की गिरफ्तारी पाता है तो उसे रिहा करने का आदेश जारी करता है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को उस अधिकारी के विरुद्ध जारी किया जाता है जिसने किसी व्यक्ति को हिरासत में बंदी बनाकर रखा होता है इस रिट को जारी करके गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को निर्देश या आदेश दिया जाता है कि वह गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय में पेश करें।
Habeas Corpus को पीड़ित की तरफ को कोई भी न्यायालय में दायर कर सकता है। इसके लिए पीड़िता को स्वयं न्यायालय में मौजूद होने की जरूरत नहीं होती। इस रीट का उद्देश्य पीड़ित के अधिकारों की रक्षा करना है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण के जरिए न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति की गिरफ्तारी वैध है या अवैध अगर गिरफ्तारी अवैध होती है तो व्यक्ति को रिहा करके पुनः स्वतंत्रता स्थापित करने का आदेश दिया जाता है।
2. परमादेश (Mandamus)
Mandamus का अर्थ होता है “We Command” हिंदी में परमादेश का अर्थ होता है हमारा आदेश है। यदि कोई लोक अधिकारी जिसे कानून के अंतर्गत अपना काम करना चाहिए लेकिन वह अधिकारी अपने काम को नहीं कर रहा है तो सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में रीट याचिका दायर किया जा सकता है। इस रीट के तहत न्यायालय यह आदेश देता है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन सही से करे
इस Writ के अंतर्गत आप न्यायालय से अपील करते है कि न्यायालय एक आदेश जारी करे जिसमे कोई भी सरकारी अधिकारी या लोक अधिकारी अपने काम को सही से करे आपको बता दूँ यह Writ राष्ट्रपति और राज्यपाल से विरुद्ध जारी नहीं हो सकता।
3. प्रतिषेध (Prohibition)
प्रतिषेध का अर्थ होता है रोकना। इसे स्टे आर्डर भी कहा जाता है। इस Writ को उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों या अर्ध-न्यायिक सिस्टम के विरुद्ध जारी किया जाता है। इस रीट के जरिये उच्चतम न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों को किसी कार्य को करने से रोकती है। इस रीट के जारी हो जाने के बाद अधीनस्थ न्यायालय में कार्यवाही को रोक दिया जाता है या समाप्त कर दिया जाता है।
4. उत्प्रेषण-लेख (Certiorari)
सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के द्वारा अधीनस्थ न्यायालय के लिए इस रीट को जारी किया जाता है। जब अधीनस्थ न्यायालय किसी वाद पर अपना फैसला सुना देता है तो उस फैसले को रद्द करने लिए उच्चतर न्यायालय द्वारा उत्प्रेषण रीट जारी किया जाता है।
5. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
अधिकार पृच्छा का अर्थ होता है “आपका अधिकार क्या है?” इस रीट के जरिये उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय किसी भी लोक अधिकारी से उसके पद के बारे में जानकारी मांग सकता है।
अधिकार पृच्छा को उस व्यक्ति के विरुद्ध जारी किया जाता है जिसने किसी ऐसे लोक पद को धारण किया होता है जिसपर उसका कोई अधिकार नहीं होता। न्यायालय इस रीट के माध्यम से लोक अधिकारी से उसके पद के बारे में उत्तर मांगती है अगर न्यायालय अधिकारी के जानकारी से संतुष्ट नहीं होता तो न्यायालय अधिकारी के कार्य करने पर रोक भी लगा सकता है।
अन्य जानकारी –
निष्कर्ष
तो दोस्तों अब आप अच्छे से Writ Petition के बारे में समय गए होंगे इस लेख में हमने रीट क्या है (What is Writ in Hindi), रीट कितने प्रकार का होता है (Types of Writ in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराया है। मैं उम्मीद करता हूँ हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी यदि आपको जानकारी अच्छी लगे तो इसे शेयर जरूर करे