इस लेख में हम आपको NATO Full Form in Hindi, नाटो क्या होता है, इसकी स्थापना कब हुई, इसका मुख्यालय कहाँ पर है, इसके सदस्य देश कौन से है के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
जब विश्व युद्ध की घटना हुई थी तो इस घटना ने पूरी दुनिया को दहशत में डाल दिया है क्योंकि इस घटना से काफी ज्यादा नुकसान पहुँचा था। ऐसे में सभी देश यही चाहते थे कि दोबारा से ऐसी घटना भविष्य में कभी भी घटित न हो। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कई सारे देशों ने एक साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र संघ की नीव रखी। और इस संगठन को अधिक शक्ति प्रदान करने के लिए एक सैन्य संगठन का गठन किया गया।
जिसके अनुसार अगर कोई देश अपने शक्तियों का गलत इस्तेमाल करता है या गठन के नियमों का पालन नहीं करता है तो इसके खिलाब सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए इस गठन में शामिल देशों ने अपने सेना को बाकि देशों को साथ साझा करने की हामी भरी। इस तरह से जब कई सारे देशों को सेना आपस में मिल गई तब इस संगठन का निर्माण किया गया जिसे NATO नाम दिया गया। चलिए NATO के बारे में विस्तार से जानते है।
NATO Full Form in Hindi
NATO का फुल फॉर्म ” North Atlantic Treaty Organisation (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) ” होता है। नाटो को हिंदी में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन कहा जाता है। वर्तमान में नाटो के सदस्य देशों की संख्या 30 है।
नाटो क्या है (What is NATO in Hindi)
नाटो एक सैन्य संगठन संधि है जिसे अटलांटिक अलाइंस भी कहा जाता है। इस संगठन के अंतर्गत जितने भी देश शामिल है वो आपस में अपनी सेना का साझा करते है अगर किसी भी देश में कोई मुसीबत आती है तो यह सैन्य संगठन उस देश को पूरी सहायता प्रदान करती है। NATO संगठन के अंतर्गत शामिल देश अपनी सेना को शक्ति प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग भी मुहैया करवाती है इसके अतिरिक्त सैनिको को हर एक परिस्थिति से सख्ती के साथ निपटने का आदेश भी दिया जाता है।
जानकारी के लिए आपको बता दूँ यह एक अंतर सरकारी सैन्य संगठन है जिसका गठन 4 अप्रैल 1949 में किया गया था।
नाटो (NATO) का इतिहास और सदस्य देश (Member Country List)
द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्ति के बाद सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका अधिक शक्तिशाली बन गए थे। जिसके कारण पुरे यूरोप पर खतरा मंडराने लगा था, इस स्थिति को देखते हुए फ़्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग जैसे देशों ने एक संधि की। इस संधि में यह निश्चित किया गया की अगर किसी देश पर हमला होता है तो यह सभी देश आपस में मिलकर उस देश को सामूहिक रूप से सैनिक सहायता देंगे। तथा उस देश की आर्थिक और सामाजिक रूप से मदद करेंगे।
इसके बाद अमेरिका अपने आप को और भी ज्यादा पावरफुल बनाने के लिए सोवियत संघ का घेराव करने लगा ताकि उसके प्रभाव को कम किया जा सके। इसी कारण अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि (NATO) की पेशकश की, जिसपर 12 देशों ने हामी भरते हुए हस्ताक्षर किए। जिसमे संयुक्त राज्य अमेरिका के आलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्ज़मबर्ग, फ्रांस, कनाडा, इटली और डेनमार्क जैसे देश शामिल थे।
इसके अतिरिक्त शीत युद्ध से पहले स्पेन, पश्चिमी जर्मनी, टर्की, यूनान इसमें शामिल हुए। जब शीत युद्ध समाप्त हो गया तब हंगरी, पोलैंड, और चेक गणराज्य भी इस संगठन में जुड़ गए। इसके बाद 2004 में सात और देश इस संगठन में शामिल हो गए। वर्तमान में इस संगठन में 30 देश सदस्य है। इस संगठन में शामिल देशों के नाम कुछ इस प्रकार है –
- अल्बानिया
- बेल्जियम
- बुल्गारिया
- कनाडा
- क्रोएशिया
- चेक गणतंत्र
- डेनमार्क
- एस्तोनिया
- फ्रांस
- जर्मनी
- यूनान
- हंगरी
- आइसलैंड
- इटली
- लातविया
- लिथुआनिया
- लक्समबर्ग
- मोंटेनेग्रो
- नीदरलैंड
- उत्तर मैसेडोनिया
- नॉर्वे
- पोलैंड
- पुर्तगाल
- रोमानिया
- स्लोवाकिया
- स्लोवेनिया
- स्पेन
- टर्की
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
नाटो का मुख्यालय (NATO Headquarter)
दोस्तों आपको बता दूँ उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स में स्थित है।
नाटो की संरचना
NATO की संरचना मुख्य रूप से चार अंगों से मिलकर बना है जिसके कारण यह नाटो को खास बनता है। इस संरचना के चार अंग इस प्रकार है
परिषद – यह इस संरचना का सबसे मुख्य और उच्च स्तरीय अंग है। राज्य के मंत्रियों से मिलकर इस अंग का निर्माण होता है। इन मंत्रियों की बैठक साल में एक बार होती है।
उप परिषद – नाटो के इस अंग में नाटो से जुड़े सामान्य हितों के विषय में वार्तालाप होती है। इस परिषद का निर्माण नाटो में नियुक्त कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद से मिलकर बना है।
प्रतिरक्षा समिति – इस अंग में सदस्य देशों के जितने भी प्रतिरक्षा मंत्री है उनको शामिल किया जाता है। इस परिषद का कार्य प्रतिरक्षा रणनीति तथा नाटो और गैर नाटो देशों में सैन्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा करना होता है।
सैनिक समिति – इस समिति में सभी देशों के सेना अध्यक्ष शामिल होते है। इस समिति का मुख्य कार्य परिषद तथा प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना होता है साथ ही विश्व की शांति को लेकर चर्चा करना होता है।
क्यों नाटो की स्थापना की गई (Why was NATO Established)
जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ तो यूरोप की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा खराब हो चुकी थी जिसके कारण वहां को लोगो को कई सारे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा। लोगो को स्थिति इतनी ज्यादा प्रभावित हुई कि वो निम्न स्तर का जीवन जीने लगे थे। इसी स्थिति का फायदा उठाते हुए सोवियत संघ ने तुर्की और ग्रीस पर साम्यवाद स्थापित करके पूरे विश्व का कारोबार पर अपना नियंत्रण करना चाहा।
सोवियत संघ अगर उस समय तुर्की पर जीत हासिल कर लेता तो उसका नियंत्रण काला सागर पर हो जाता। इससे उसे यह लाभ होता कि वह आसपास के देशों पर अपना साम्यवाद आसानी के साथ स्थापित कर सकता था। इसके अतिरिक्त वह ग्रीस को भी अपने नियंत्रण में लेना चाहता था।
एक प्रकार से सोवियत संघ भूमध्य सागर के रास्ते पर जो व्यापार होता था उस पर अपना नियंत्रण बना सकता था। सोवियत संघ की यह सोच काफी विचारवादी था जिसे अमेरिका ने बहुत अच्छे से आंक लिया। इसी सब बात का ध्यान रखते हुए अमेरिका ने नाटो का गठन किया। जानकारी के लिए बता दूँ उस समय अमेरिका को प्रेसिडेंट फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट थे जिनका अचानक से निधन हो गया। जिसके बाद अमेरिका के प्रेसिडेंट हैरी एस ट्रूमैन बने थे।
ट्रूमैन सिद्धांत (Truman Doctrine in Hindi)
अमेरिका ने शीत युद्ध के वक्त सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के लिए एक प्रस्ताव रखा जिसे ट्रूमैन सिद्धांत कहा गया। इस सिद्धांत का मकसद सोवियत संघ के प्रभाव पर प्रतिबंध लगाना और सारे यूरोपीय देशों को सहायता करना था। इस सिद्धांत के तहत अमेरिका ने उन सभी देशों को सहायता प्रदान किया जिन पर साम्यवाद का खतरा था।
अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने ही नाटो संगठन को संकलित किया था। इस गठन में वह सभी देश आकर मिल गए जिन्हे साम्यवाद से खतरा था और लोकतंत्र को बचाने में विश्वास रखते थे। नाटो के तहत यह फैसला लिया गया था की इसमें शामिल सभी देशों की सुरक्षा का ध्यान दिया जाएगा। संगठन में शामिल सभी देशों का मानना था कि अगर किसी सदस्य देश किसी प्रकार का हमला होता है तो वह हमला संगठन पर होगा और संगठन के सभी देश एक साथ मिलकर उसका सामना करेंगे।
दोस्तों आपको बता दूँ मार्शल स्कीम के तहत ही तुर्की और ग्रीस को लगभग 400 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की गई और साथ ही साथ इस देशों को नाटो का सदस्य बनाया गया। यह एक ऐसी नीति थी जिसकी वजह से अमेरिका और सोवियत संघ के बीच लम्बे अर्से तक शीत युद्ध चलते रहा।
नाटो का गठन करने का उद्देश्य
नाटो को गठन करने का मुख्य उद्देश्य पश्चिमी यूरोप के देशों को एक साथ संगठित करना था। साथ ही साथ सैन्य और आर्थिक विकास के लिए यूरोपीय राज्यों को सुरक्षा प्रदान करना था ताकि वह देश अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित बना सके। इसके अलावा नाटो ने युद्ध के हालत को देखते हुए यह फैसला लिया कि सदस्य देशों पर जब भी किसी तरह का हमला होता है तो उस हमले से निपटने के लिए वह पूरी तरह सहायता प्रदान करेगा तथा उनकी आर्थिक और सामाजिक रूप से मदद भी करेगा।
Conclusion
इस पोस्ट में हमने आपको NATO के बारे में विस्तार से जानकारी दिया है। इसमें आपने NATO Full Form in Hindi. नाटो क्या है, इसकी स्थापना और सदस्य देश कौन से है, नाटो का गठन क्यों किया गया, इसका गठन करने का उद्देश्य साथ ही साथ इसका मुख्यालय कहा पर स्थित है के बारे में जाना। मैं उम्मीद करता हूँ हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आपको इस लेख की जानकारी अच्छी लगे तो इसे शेयर जरूर करे और इससे जुड़े किसी तरह का सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करके जरूर बताएं।