नमस्कार दोस्तों, आज इस पोस्ट में मैं आपको Power of Attorney के बारे में जरुरी जानकारी देने वाला हूँ। आप अच्छे से जानते है व्यक्ति को कई बार अपनी प्रॉपटी या व्यवसाय को कुशल तरीके से बढ़ाने या चलाने में कई सारे फैसले लेने पड़ते है और काफी बार ऐसा भी होता है प्रॉपटी या व्यवसाय से संबंधित कार्य करने वाले व्यक्ति से साथ धोखा भी हो जाता है। इन्ही सब परेशानियों को देखते हुए हर कोई व्यक्ति कानूनी तौर पर कार्य करने को उचित समझता है।
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी कानून से जुड़ा हुआ है जिसका इस्तेमाल काफी समय से किया जा रहा है। ऐसे में आज के वक्त में होने वाले धोखाधड़ी से बचने के लिए आपका इसका बारे में जानना जरुरी हो जाता है। इस लेख में हम आपको पावर ऑफ़ अटॉर्नी क्या होता है (What is Power of Attorney in Hindi), इसका इस्तेमाल कब किया जाता है, यह कितने प्रकार का होता है (Types of Power of Attorney) से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला। यदि आप इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी चाहते है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
POA Full Form in Hindi
POA का फुल फॉर्म Power of Attorney होता है। हिंदी में इसका मतलब मुख्तारनामा या अधिकार पत्र होता है।
पावर ऑफ़ अटॉर्नी क्या है (What is Power of Attorney in Hindi)
Power of Attorney (POA) का हिंदी में मतलब मुख्तारनामा या अधिकार पत्र होता है। इसे कानूनी तौर पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। जिससे व्यक्ति को अपने व्यवसाय या सम्पत्ति को आगे बढ़ाने तथा बेचने या खरीदने में कानूनी तौर पर मदद मिल जाती है। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसकी सहायता से एक व्यक्ति अपने निजी कार्य, व्यवसाय या किसी प्रकार के कानूनी कार्यो को करने लिए दूसरे व्यक्ति को अधिकार दे देता है।
जब कोई व्यक्ति किसी कारणवश अपने व्यवसाय, संपत्ति या निजी कार्य को करने में असमर्थ हो जाता है तब वह पावर ऑफ़ अटॉर्नी दस्तावेज का इस्तेमाल करके अपने व्यवसाय या सम्पत्ति को संभालने के लिए किसी जिम्मेदार व्यक्ति को कानूनी तौर पर अधिकार दे सकता है। जिस व्यक्ति को कार्य करने का अधिकार मिलता है उसे एजेंट कहा जाता है। तथा जो व्यक्ति अधिकार देता है उसे प्रिंसिपल कहा जाता है।
यह एक लिखित कानूनीदस्तावेज होता है जिसको अधिकतर बड़े बड़े बिज़नेसमैन के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि बड़े बिजनेसमैन एक साथ कई सारे बिज़नेस करते है ऐसे में हर बिज़नेस के तरफ ध्यान दे पाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। जिसके लिए उन्हें पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का सहारा लेना पड़ता है।
Power of Attorney एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है इसलिए इसका सही तरीके से उपयोग किया जाता जरुरी है। जिस भी व्यक्ति को एजेंट बनाया जाता है वह प्रिंसिपल के बदले हर तरह के कानूनी वित्तीय लेनदेन तथा कार्य के प्रति निर्णय ले सकता है। क्योंकि एजेंट प्रिंसिपल के बदले काम करता है इसलिए एजेंट के द्वारा लिया गया निर्णय कानूनी तौर पर मान्य होता है। दोस्तों आपके जानकारी के लिए बता दूँ पीओए को कानूनीदर्जा देने के लिए सब-रजिस्ट्रार में के ऑफिस में जाकर रजिस्टर करवाना होता है तथा पीओए मालिक के जिन्दा रहने तक मान्य होता है। पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी दो प्रकार का होता चलिए हम उसे भी समझ लेते है
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के प्रकार (Types of Power of Attorney)
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी दो प्रकार का होता है जिसमे पहला साधारण अधिकार पत्र और दूसरा विशेष अधिकार पत्र है।
विशेष अधिकार पत्र (Specific Power of Attorney)
SPA में प्रतिनिधि अपने मालिक के तरफ से कुछ खास निर्णय ही ले सकता है। विशेष अधिकार पत्र के माध्यम से सम्पत्ति से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार मिलता है। उदाहरण – जब कोई व्यक्ति कंपनी से जुड़े किसी दस्तावेज को कर अधिकारी के सामने प्रस्तुत करने या व्यवसायिक तथा सम्पत्ति के दस्तावेजों को पंजीकरण कराने हेतु रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत करने में असमर्थ होता है तो वह व्यक्ति इस पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का प्रयोग करता है। इसके अलावा किसी प्रकार के मामले को सुलझाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। SPA कार्य के हो जाने के बाद समाप्त हो जाता है।
साधारण अधिकार पत्र (General Power of Attorney)
General Power of Attorney में प्रतिनिधि को SPA से ज्यादा अधिकार प्राप्त होते है। इस पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के प्रतिनिधि कई सारे फैसले लेने के लिए सक्षम होते है। जिस भी व्यक्ति को आपने GPA दिया है वह व्यक्ति आपके तरफ से जरूरी बिलो का भुगतान कर सकता है, किराया वसूल सकता है तथा किसी प्रकार के झगड़ो को सुलझाने कार्य कर सकता है। इसके अलावा प्रतिनिधि के नाते वह आपके बैंक से जुड़े कार्य भी कर सकता है यहाँ तक की आप प्रतिनिधि को संपत्ति रजिस्टर करने को भी कह सकते है। इसके अलावा Durable Power of Attorney भी होता है।
Durable Power of Attorney
DPA एक ऐसा पीओए है जिसमे प्रिंसिपल ने साफ तौर पर कहा होता है कि उसके अक्षम हो जाने के बाद भी ये पीओए मान्य रहेगा। हालाँकि प्रिंसिपल के मौत के बाद डीपीए खत्म हो जाता है। कई जगहों पर डीपीए को हेल्थ केयर पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी भी कहते है। इसका पीओए के तहत प्रतिनिधि को प्रिंसिपल के हेल्थ से जुड़े फैसले लेने का सम्पूर्ण अधिकार होता है।
POA में क्या क्या अधिकार मिलता है ?
यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनता है तो मालिक की वित्तीय सम्पति, व्यवसाय, चिकित्सीय देखभाल के बारे में कानूनी तौर से फैसला लेने का अधिकार प्रतिनिधि को प्राप्त हो सकता है। इसके अतिरिक्त कई सारे अलग अलग तरह के कार्य को करवाने के लिए पीओए का सहारा लिया जा सकता है।
जीपीए के तहत मालिक के बैंक से जुड़े कार्य को करने, सम्पति को बेचने, नोटरी के सामने हस्ताक्षर करने, समस्या को निपटाने आदि कार्य को करने के लिए प्रतिनिधि को चुना जा सकता है जो कानून के दायरे में रहकर इन सभी कार्य को करे।
किन स्तिथियो में पीओए मान्य है?
- यदि मालिक या प्रतिनिधि दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी अमान्य हो जाती है।
- स्पेशल पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी को कार्य के पूरा हो जाने के बाद खुद समाप्त हो जाता है।
- जनरल पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी को मालिक के द्वारा कभी भी समाप्त किया जा सकता है।
- यदि किसी कारण से प्रिंसिपल कागजात पर हस्ताक्षर करने के योग नहीं रहता तो उसके द्वारा दी गयी POA समाप्त हो जाता है। इसके अलावा प्रिंसिपल पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी को समाप्त करने का फैसला भी ले सकता है।
- कभी कभी प्रतिनिधि और प्रिंसिपल दोनों की सहमति से भी पीओए को खत्म किया जा सकता है।
पीओए की समय सीमा
Power of Attorney की निर्धारित समय सीमा एक साल का होता है। अगर समय सीमा के अंतर्गत कोई प्रतिनिधि आपके द्वारा दिए अधिकारों का गलत प्रयोग करता है तो आप उसके खिलाफ कानूनी तौर पर न्यायालय में शिकायत दर्ज करवा कर पीओए को रद्द कर सकते है।
मुख्तारनामा/अधिकार पत्र का रजिस्ट्रेशन
पावर ऑफ अटॉर्नी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन होता है। जब मामला अचल संपत्ति से जुड़ा हुआ हो तो पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन करवा ही लेना चाहिए। जिन स्थानों में रजिस्ट्रेशन अधिनियम 98 लागू है वहां पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन सब-रजिस्ट्रार के पास जाकर करवा सकते है। तथा बाकि जगहों में नोटरी के पास जाकर या किसी प्रशासनिक अधिकारी के पास जाकर भी करवाया जा सकता है।
इसका रजिस्ट्रेशन करते समय आपके पास दो या दो से अधिक सबूतों का होना जरुरी है। क्योंकि आगे चलकर यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी होता है तो पीओए के रजिस्ट्रेशन होने का लाभ मिल जाता है। हालाँकि किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी को रोकने के लिए तथा पंजीयन हेतु राज्य सरकार के नियम में संशोधन का प्रस्ताव भी है।
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के तहत सम्पति को बेचने या खरीदने का अधिकार केवल जमीन मालिक के परिवार के सदस्यों के पास होता है इसके लिए 1000 रूपए के स्टांप और 500 रूपए रजिस्ट्रेशन फीस देना होगा। यदि सम्पति किसी अन्य को बेचीं जाए तो मुख्तारनामा देने के लिए रजिस्ट्री के बराबर शुक्ल होगी।
विदेश में रहने वाला व्यक्ति पीओए कैसे बना सकते है ?
यदि कोई व्यक्ति जैसे NRI विदेश में रहता है और उसके पास भारत में सम्पति है और वह उस सम्पति को बेचना चाहता है, तो उसके लिए वह विदेश में भी पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। लेकिन देश से बाहर पीओए रजिस्ट्रेशन कराने पर उसे भारत आने के तीन महीने के अंदर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से मान्यता दिलाना अनिवार्य है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए लंदन में रहने वाला एक एनआरआई अपने भारत के सम्पति को बेचना चाहता है, लेकिन वह भारत नहीं आना चाहता। तो इस स्थिति में वह लंदन में ही पीओए बनवा कर उसका नोटराइज्ड करा सकता है।
विदेश में पीओए एक सादे पेपर पर बनाया जाता है इसलिए इसे नोटराइज्ड कराना जरुरी हो जाता है। वही भारत में पीओए को स्टांप पेपर पर तैयार किया जाता है। विदेश में पीओए तैयार करवाने के लिए नोटरी, इंडियन काउंसिल या केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के पास जाना होगा।
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