इस लेख में हम आपको Floor Test Kya Hai के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। दरहसल फ्लोर टेस्ट विधानसभा की एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमे इस बात पर फैसला लिया जाता है की, वर्तमान समय में मौजूद सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त मात्रा में बहुमत है कि नहीं। यह सदन में होने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमे राज्यपाल किसी भी प्रकार से हस्क्षेप नहीं कर सकता। Floor Test सत्ता धारी पार्टी के लिए काफी ज्यादा मायने रखता है क्योंकि इस टेस्ट में पार्टी को अपने पास बहुमत है कि नहीं उसे सभी करना होता है। ऐसे में यदि आपको Floor Test के बारे में अधिक जानकारी नहीं है और आप इसके बारे में अच्छे से जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।

Floor Test Kya Hai
वर्तमान समय में मौजूदा सरकार के द्वारा विधानसभा में मौजूद सभी लोगो के सामने अपना बहुमत साबित करने की प्रक्रिया को फ्लोर टेस्ट कहा जाता है। Floor Test में सभी विधायक को स्पीकर के सामने अपना कीमती वोट देना होता है। यदि किसी राज्य में एक से अधिक पार्टी सरकार बनाने के लिए कहती है लेकिन उन पार्टियों के पास पर्याप्त मात्रा में बहुमत न होने के कारण किसी एक पार्टी को फ्लोर टेस्ट के माध्यम से राज्यपाल के द्वारा, अपनी बहुमत साबित करने को कहा जा सकता है कि किस पार्टी को बहुमत प्राप्त है। यह बहुमत सदन में विधायकों की उपस्थिति के आधार पर कराया जाता है। इस फ्लोर टेस्ट में सभी विधायक वोट डाले ऐसा जरुरी नहीं है।
इसके साथ ही अगर सभी पार्टी में बराबर मात्रा में मतदान हो रहे है, तो इसमें Floor Test का एक संवैधानिक प्रावधान होता है जिसमे सरकार के द्वारा विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखा जाता है, जिसके लिए सदन में मतदान होता है।
जब एक से अधिक पार्टी अपना सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करती है, लेकिन बहुमत का सही से पता नहीं चल पाता, तो राज्यपाल विशेषसत्र बुलाकर इन पार्टियों को अपना बहुमत करने को कह सहते है, कि अधिक बहुमत किसके पास है।
फ्लोर टेस्ट का मतलब क्या है (Floor Test Meaning in Hindi)
फ्लोर टेस्ट में सभी विधायक स्पीकर, ईवीएम या बैलेट पेपर के माध्यम से अपना कीमती वोट करते है। इस फ्लोर टेस्ट में यदि बहुमत सही से साबित नहीं हो पाता तो इसका सीधा मतलब निकलता है कि, सदन को सरकार के ऊपर भरोसा नहीं रह गया है। इसी कारण बहुमत नहीं मिलने पर मुख्यमंत्री से साथ साथ पूरी कैबिनेट को अपना इस्तीफा देना पड़ जाता है। वही काफी बार सरकार अपने पास विधायकों की कमी को देखते हुए विश्वास मत के पहले ही खुद इस्तीफा दे देते है। फ्लोर टेस्ट के बाद जब किसी पार्टी को पर्याप्त मात्रा में बहुमत हासिल हो जाता है तो राज्यपाल उस पार्टी के नेता को CM पद के लिए शपत ग्रहण करवाने का कार्य करते है।
फ्लोर टेस्ट कितने प्रकार से होता है?
फ्लोर टेस्ट में मुख्य रूप से तीन प्रकार से होता है –
- ध्वनिमत
- संख्याबल
- हस्ताक्षर के माध्यम से
फ्लोर टेस्ट का प्रयोग
सदन में मौजूद सभी विधायकों के वोटिंग के बाद बहुमत तय होता है, इसमें विधायक अपने हिसाब से मतदान करते है यदि उनको वोट देने का मन नहीं है, तो उनके साथ किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की जा सकती है। वही वोट का आकड़ा बराबर होने पर विधानसभा के अध्यक्ष भी अपना कीमती मत दे सकते है। Floor Test के जरिये इस बात का निर्णय लिया जाता है कि, वर्तमान समय में मौजूदा सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नहीं।
दोस्तों अब आप अच्छे से Floor Test के बारे में समझ गए होंगे। इस लेख में हमने आपको फ्लोर टेस्ट का मतलब के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराया है। मुझे उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। इसी तरह की जानकारी के लिए आप hindiim.com पर विजिट करते रहे। साथ ही यदि आप इस लेख से जुड़े किसी प्रकार का सुझाव या विचार तथा सवाल पूछना चाहते है तो निचे कमेंट में लिखकर जरूर बताये।